Tuesday, 22 June 2021

غزل ‏

غزل 
جس دن سے اُس نے اپنا رویہ بدل لیا
ہم نے بھی  اپنے آپ کو تھوڑا بدل لیا
जिस दिन से उसने अपना रवैय्या बदल लिया
हमने भी अपने आपको थोड़ा बदल लिया।

جو شخص سارے شہر میں شیریں زبان تھا
دولت ملی تو اُس نے بھی لہجہ بدل لیا
जो   शख्स  सारे   शहर   में   शीरींज़बान   था
दौलत मिली तो उसने भी लहजा बदल लिया।

گھیرا جو تنگ حالی نے مجھکو کسی سبب
کتنے ہی میرے اپنوں نے چہرا بدل لیا
घेरा जो तंगहाली  ने  मुझको  किसी सबब
कितने ही मेरे अपनों ने चेहरा बदल लिया।

اک ساتھ جان دینے کا پیمان تھا مگر
اُس  نے ہی  عین  وقت ارادہ بدل لیا
इक साथ जान देने का पैमां तो था मगर
उसने ही ऐन वक़्त इरादा बदल लिया।

کب تک میں کرتا اُس کے بدلنے کا انتظار
سو آج  میں  نے خود  کو سراپا  بدل لیا
कब तक मैं करता उसके बदलने का इंतेज़ार
सो आज मैंने ख़ुद को सरापा बदल लिया।

مدت  سے ایک  راہگزر  پر جو  ساتھ تھا
اُس نے بھی ساتھ چھوڑ کے رستہ بدل لیا
मुद्दत से  एक  राहगुज़र  पर जो साथ था
उसने भी साथ छोड़के रस्ता बदल लिया।

مسجد، کلیسا اور شوالوں کے نام پر
انسان   نے  نجات  کا  رستہ بدل لیا
मस्जिद, कलीसा और शिवालों के नाम पर
इंसान ने  निजात  का  रस्ता  बदल  लिया।
عسکری عارف

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