Nazm

ताज़ा नज़्म

ये ज़मीं है राम  की  गौतम  विवेकानंद  की
ज़ेब कब देते हैं इसको नफ़रतो फ़ित्नागरी।

अम्नो तहज़ीबो सक़ाफ़त का चमन हिन्दोस्तां
मरकज़े  इन्सानियत अपना  वतन हिन्दोस्तां।

कितना प्यारा कितना अच्छा है मेरा  भारत महान
सारी दुनिया के ममालिक में जुदा इसकी है शान।

संग दिल  यूं  हो गये  हो आंख  में  पानी नहीं
अपनी करतूतों पे तुमको कुछ पशेमानी नहीं।

कर रहे हो दिनबदिन अफ़कारे इंसानी पे वार।
भूल बैठे राम की शिक्षा भी रामायण का सार।

चढ़ गया कुछ यूँ तुम्हारे सर  ख़ुमारे इक़्तिदार।
लग रही है अब तुम्हें जम्हूरियत कांधों पे बार।

राम हैं  होटों पे  लेकिन दिल में  है रावन बसा।
रास आती ही नहीं तुमको मुहब्बत की फ़िज़ा।

नाम पर मज़हब के ये फ़ित्नागरी अच्छी नहीं
आदमी   के  भेस  में  हैवानगी  अच्छी  नहीं।

वक्त है अब भी संभल जाओ बनो इंसान तुम
वर्ना अपने हाथों से खो दोगे  हिन्दुस्तान तुम।

किसलिए ख़ामोश बैठे हैं वतन के हुकमरां
गुंग है क्योंकर  ज़बाने हाकिमे  हिन्दोस्तां।

बरख़िलाफ़े बरबरियत अब लबों को खोल दे
ऐ अमीरे मुल्क मज़लूमों के  हक़  में बोल दे।

होशियार   ऐ   ज़िम्मादाराने   तमद्दुन  होशियार
उठ रहा है मुल्क में हर सिम्त नफ़रत का ग़ुबार।

हम  कभी  मिटने  न   देंगे  मुल्क से  आसूदगी
मशअले उल्फ़त न बुझने देंगे हम ता ज़िन्दगी।

हुर्रियत की  पासदारी  के  लिए  तैयार  हैं
हम वतन पर जांनिसारी के लिए तैयार हैं।
असकरी आरिफ़
#Unite_against_extremism

Comments

Popular posts from this blog

مسدس مولا عباس

منقبت مولا علی علیہ السلام

منقبت رسول اللہ ص اور امام جعفر صادق علیہ السلام