Saturday, 4 April 2020

منقبت شہزادہء علی اکبر علیہ السلام

विलादते पुरनूर शहज़ादए अली अकबर अ.स. तमाम मोमनीन की ख़िदमत में दिल की गहराईयों से मुबारक हो।

नाम बादे किबरिया आता अली अकबर अ.स. का है
सोच कितना मरतबा आ़ला अ़ली अकबर का है।

ज़ुल्म की बरछी को बढ़कर तोड़ देने के लिए
आज भी हाज़िर वही सीना अ़ली अकबर अ.स. का है।

हुस्ने अकबर अ.स. बिक नहीं सकता किसी बाज़ार में
हुस्ने अहमद स. हुस्न शहज़ादा अ़ली अकबर अ.स. का है।

देख ले दुनिया फ़ुनूने जंगे अहमद स. इसलिए
पेशे हक़ तालिब मेरा मौला अ.स. अली अकबर अ.स. का है।

अपने आंगन में टहलता है जो शब लैला का चांद
हसरतों से चांद रुख़ तकता अ़ली अकबर अ.स. का है।

हश्र तक ज़िंदा रहेगा हज़रते अकबर अ.स. का नाम
नाम अज़ानों में सदा आता अली अकबर अ.स. का है।

सरज़मीने करबला जागीर अ़ली अकबर अ.स. की है
मालिकाना हक़ भी ये तन्हा अ़ली अकबर अ.स. का है।

चूमती हैं आयतें बढ़ बढ़ के दहने पाक को
इस क़दर लहजा फ़सीहाना अ़ली अकबर अ.स. का है।

अ़ज़मते वल्लैल क़ुरबां गेसुए ख़मदार पर
जलवाहाए वलक़मर चेहरा अ़ली अकबर अ.स. का है।

रन में गूंज उठ्ठी सदाए अल हफ़ीज़ो अल अ़मान
शाम की फ़ौजों पा यूँ हमला अ़ली अकबर अ.स. का है।

फ़क़ न पड़ जाए कहीं सूरज का चेहरा *असकरी*
बेहिजाबाना रुख़े ज़ेबा अ़ली अकबर अ.स. का है।
*असकरी आरिफ़ अकबरपुरी*

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