अज़मत है इसलिए भी ये मुहर्रम की मुनफ़रिद
नज़दीक़े किबरिया है महीना नजात का।
हैय्या अ़लल फ़लाह है हैय्या अ़लल हुसैन
दर अस्ल हैं हुसैन सफ़ीना नजात का।
असकरी आ़रिफ़
निसार करके रहे हक़ में हमशबीहे नबी
वफ़ा के ख़ास मआनी हुसैन (अ.स.) देते हैं।
जवान बेटे के सीने से खैंचकर नैज़ा
ख़ुदा के दीं को जवानी हुसैन (अ.स.)देते हैं।
मुसाबरत=सब्र
असकरी आ़रिफ़
نثار کرکے رہِ حق میں ہمشبیہ نبی ص.
وفا کے خاص معانی حسین ع. دیتے ہیں
جوان بیٹے کے سینے سے کھینچکر نیزا
خدا کے دیں کو جوانی حسین ع. دیتے ہیں
عسکری عارف
फ़राज़े नोके सिनां पर हुसैन बोलते हैं
वो देख बरसरे मिम्बर हुसैन बोलते हैं।
ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़माना जहाँ ख़मोश रहे
क़सम ख़ुदा की वहाँ पर हुसैन बोलते हैं।
असकरी आ़रिफ़
فرازِ نوکِ سناں پر حسین ع. بولتے ہیں
وہ دیکھ برسرِ منبر حسین ع. بولتے ہیں
خلافِ ظلم زمانہ جہاں خموش رہے
قسم خدا کی وہاں پر حسین ع. بولتے ہیں
عسکری عارف
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