Tuesday, 2 March 2021

हो गया क़तरा समंदर देखते ही देखते।

786/92/110
हो    गया   क़तरा   समंदर    देखते   ही    देखते
आ गए मैदां में असग़र (अ.स.) देखते ही देखते।

चाहते असग़र (अ.स.) तो रेगे गर्म से रोज़े दहुम
फूट   ही    पड़ते   समंदर  देखते    ही   देखते।

अ़ज़मते ख़ाके कफ़े पाए हुसैन इब्ने अली (अ.स.)
बन गया हुर (अ.स.) का मुक़द्दर देखते ही देखते।

हज़रते अब्बास (अ.स.) को दरिया पे आता देखकर
हो    गया    फ़र्रार    लश्कर     देखते    ही   देखते।

इश्क़े हैदर (अ.स.) में जो बेज़र था अबूज़र हो गया
और    हुआ    फ़त्ताह   क़ंबर   देखते   ही   देखते।

फ़र्श मजलिस का बिछाया था कि आ पहुंचीं बतूल (स.अ.)
हो    गया    जन्नत     मिरा     घर    देखते    ही     देखते।

एहतेरामे फ़ातेमा बिन्ते असद (स.) भी देखिए
हो   गया    दीवार   में   दर   देखते  ही देखते।

मिन्नतें करतीं रहीं ज़हरा (स.अ.) न कोई बस चला
कट गया शब्बीर (अ.स.) का  सर देखते ही देखते।

चादरें   छीनी   गईं   ख़ैमे   जले  बादे हुसैन (अ.स.)
लुट गया ज़हरा (स.अ.) का सब घर देखते ही देखते

ज़िक्रे अहलेबैत (अ.स.) के सदक़े में लब खुलने लगे
हो   गया    आ़रिफ़   सोख़नवर   देखते  ही   देखते।
असकरी आरिफ़

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