करते रहेंगे ज़िक्र सदा हम हुसैन का।

करते  रहेंगे  ज़िक्र  सदा   हम   हुसैन (अ.स.) का
रोके न रूक सकेगा ये मातम  हुसैन (अ.स.) का।

वादा  है   ख़ुद   ख़ुदा  का  हिफ़ाज़त  करूंगा  मैं
बाक़ी रहेगा  हश्र तलक  ग़म हुसैन (अ.स.) का।

किसमें   है   इतनी   ताब   जो   ये   हक़   अ़दा   करे
जितना भी ग़म बपा हो वो है कम हुसैन (अ.स.) का।

रोते   हैं   इसलिए   भी   ग़मे  करबला  में  हम
आंसू हमारे बनते हैं मरहम हुसैन (अ.स.) का।

धड़के  है   इक  मिनट   में   बहत्तर  दफ़ा ये   दिल
होता है यूं भी  तज़किरा पैहम हुसैन (अ.स.) का।

हर  इक  नफ़स  पा  क़र्ज़   है  शब्बीर  का  लहू
मकरूज़ है तमाम ये आलम हुसैन (अ.स.) का।

करता हूँ रक़्स  अपने  मुक़द्दर  पा  इसलिए
मुझपर है रब की ख़ास अ़ता ग़म हुसैन का।

आ़रिफ़    है    अपना    कुल     यही    सरमायए   हयात
मजलिस हुसैन (अ.स.) की ये मुहर्रम हुसैन (अ.स.) का।
असकरी आ़रिफ़

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