Thursday, 31 August 2023

आ गये फिर से करोड़ों ज़ायरीन ए करबला

आ  गये  फिर से   करोड़ों  ज़ायरीन ए करबला
हो गयी फिर से कुशादा सरज़मीन ए करबला।

और  कोई   इलतिजा  तुझसे   नहीं  इसके सिवा
हो मिरी क़िस्मत में मालिक अरबईन ए करबला।

आम  इन्सानों   के  जैसे  वो  नहीं   मरता   कभी
जिस की रग रग में समा जाये यक़ीन ए करबला।

इससे  बढ़कर  दूसरा  कोई  शरफ़  होगा नहीं
उम्र भर मैं बन के रह जाऊं रहीन ए करबला।

सीस्तानी तेरे इक फ़तवे ने कुचले उनके फन
जो छुपे  थे  साँप ज़ेरे  आस्तीन  ए करबला।

मिट  गयी  सारी मसाफ़त  की थकन कुछ देर में
आ गये ज़व्वार ए सरवर जब क़रीन ए करबला।

हालत ए एहराम  में  गर मौत  आ जाये उन्हें
फिर भी नारी ही रहेंगे मुनकेरीन ए करबला।

बादे आशूरा हैं  दुनिया  में  फ़कत अदियान दो
एक दीन ए शाम है और एक दीन ए करबला।

रोज़    करते    हैं   ज़ियारत    रौज़ए   शब्बीर    की
किस क़दर ख़ुशबख़्त हैं आरिफ़ मकीन ए करबला।
असकरी आरिफ़

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